राजनीति हो या समाज, इतिहास हमेशा उन आवाज़ों को याद रखता है जिन्होंने गलत का विरोध किया।
गलत के खिलाफ आवाज़ उठाना हमेशा मुश्किल काम रहा है। चाहे राजनीति हो या समाज, विरोध करने वालों को अक्सर कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। लेकिन इतिहास ने यही साबित किया है कि आवाज़ उठाने वाले लोग ही आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बनते हैं, जबकि तलवे चाटने वाले लोग गुमनाम हो जाते हैं।
विरोध की ताक़त: समाज का आईना
जब भी किसी ने अन्याय या गलत का विरोध किया है, समाज में बदलाव की लहर उठी है। चाहे वह स्वतंत्रता संग्राम के सेनानी हों या आधुनिक समय के समाजसेवी, उनका नाम इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में दर्ज हुआ है।
चाटुकारिता का हश्र
इसके विपरीत, सत्ता के तलवे चाटने वाले और सिर्फ़ अपने फ़ायदे के लिए जीने वाले लोग इतिहास के पन्नों से मिट जाते हैं। न कोई उन्हें याद रखता है और न ही उनका योगदान समाज को दिशा देता है।
राजनीति से समाज तक
आज भी राजनीति और समाज में गलत का विरोध करने वालों की संख्या कम है। लेकिन सच्चाई यही है कि अगर अन्याय का सामना करते समय हम चुप रहेंगे, तो आने वाली पीढ़ियाँ हमें भी भूल जाएँगी।
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👉 भारत का स्वतंत्रता संग्राम – विकिपीडिया
https://hi.wikipedia.org/wiki/भारतीय_स्वतंत्रता_संग्राम
✍️ विरोध पर प्रेरणादायक विचार
1️⃣ "अन्याय के ख़िलाफ़ विरोध ही इंसाफ़ की पहली सीढ़ी है।"
2️⃣ "चुप्पी तानाशाही की साथी है, विरोध ही असली आज़ादी है।"
3️⃣ "विरोध व्यक्ति से नहीं, व्यवस्था की बुराई से होना चाहिए।"
4️⃣ "जहाँ झूठ ज़्यादा बोलता है, वहाँ विरोध ही सच की आवाज़ है।"
5️⃣ "सच्चाई, न्याय और हक़ के लिए किया गया विरोध ही अमर होता है।"
इतिहास ने हमें सिखाया है कि गलत का विरोध करने वाले ही अमर होते हैं। हमें तय करना है कि हम अपनी आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणा छोड़ना चाहते हैं या गुमनाम चाटुकार बनकर रह जाना चाहते हैं।

