मलकापुर में जश्ने ईद मिलादुन्नबी की तैयारियाँ: उलमा की नसीहत और अमन का पैग़ाम
By -shaikh isa
Tuesday, September 02, 2025
0
मलकापुर (जिला बुलढाणा) में जश्ने ईद मिलादुन्नबी का जश्न मनाने की तैयारियाँ जारी। उलमा ने मिलाद शरीफ़ के सही तरीक़े, अमन और आपसी भाईचारे पर रोशनी डाली।
मलकापुर (जिला बुलढाणा) में जश्ने ईद मिलादुन्नबी ﷺ को लेकर शहर में रौनक देखने को मिल रही है। मुस्लिम समाज इस दिन को पैग़म्बर-ए-इस्लाम हज़रत मोहम्मद ﷺ के जन्मदिन के तौर पर मनाता है। उलमा ने अपील की है कि यह दिन सिर्फ जश्न ही नहीं बल्कि अमन, मोहब्बत और सीरत-ए-नबी ﷺ पर अमल करने का दिन है।
1. मुसलमानों को क्या करना चाहिए
उलमा का कहना है कि इस दिन मुसलमानों को सबसे पहले नबी-ए-पाक ﷺ की सीरत को याद करना चाहिए।
नमाज़ों की पाबंदी
दरूद-ओ-सलाम पढ़ना
तिलावत-ए-कुरआन
गरीबों और ज़रूरतमंदों की मदद करना
2. मिलाद किस तरह मानना चाहिए
जो लोग मिलाद शरीफ़ मानते हैं, वे इसे जुलूस, महफ़िल, नातख़्वानी और इल्मी प्रोग्राम्स के ज़रिये मनाते हैं।
उलमा ने हिदायत दी है कि:
जश्न में इस्लामी अदब और तहज़ीब का ख्याल रखा जाए।
शोहरत, फ़िज़ूलखर्ची और गैर-इस्लामी कामों से परहेज़ किया जाए।
जुलूस और प्रोग्राम्स अमन व शांति से हों।
3. उलमा की राय
कई उलमा का मानना है कि मिलाद का असली मक़सद है:
नबी ﷺ की सीरत और तालीमात को याद करना
समाज में अमन, मोहब्बत और इंसाफ़ का पैग़ाम फैलाना
नौजवानों को नशे और बुराई से बचाकर सही रास्ते की तरफ़ लाना
4. आपसी व्यवहार और भाईचारा
ईद मिलादुन्नबी का जश्न सिर्फ मुसलमानों के लिए ही नहीं बल्कि पूरे समाज में आपसी मोहब्बत और सौहार्द का पैग़ाम देता है।
जश्न के मौक़े पर गैर-मुस्लिम भाइयों से भी अच्छे ताल्लुकात रखना चाहिए।
शहर की गंगा-जमुनी तहज़ीब बनाए रखना हम सबकी ज़िम्मेदारी है।
त्योहार अमन, भाईचारा और इंसानियत का प्रतीक बनकर रहना चाहिए।
---
🔗 Internal Links
Malkapur Local News
Buldanā District Updates
🔗 External Links
ईद मिलादुन्नबी का इतिहास
Islamic Teachings on Peace
मलकापुर में जश्ने ईद मिलादुन्नबी ﷺ अमन और मोहब्बत के साथ मनाने की अपील की गई है। उलमा का कहना है कि इस दिन को सिर्फ जश्न नहीं बल्कि नबी-ए-पाक ﷺ की सीरत को अपनाने का दिन बनाया जाए। त्योहार की असली रूह भाईचारा, इंसानियत और समाज में अमन कायम करना है।

